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Maha kumbh Prayagraj 2025: संजना सिंह की कविता

Maha kumbh Prayagraj 2025: Poem by Sanjana Singh

Maha kumbh Prayagraj 2025: संजना सिंह की कविता

महाकुंभ जो प्रयागराज में 144 साल बाद लगा है,
सनातन धर्म के लोगों के लिए यह एक
पाप धोने का कर्म है।
नंगे साधु जल में स्नान करें,
जैसे कि वह पावन हो गए।
चारों तरफ ही शोर है,
भोलेनाथ के नाम का जोर शोर है।
सब इसे अमृत स्नान का नाम देते हैं,
प्रयागराज में अपने पाप धोने का काम करते हैं।
भीड़ ही भीड़ है,
चारों तरफ साधु संत और प्रजा के
शोर की चीख है।
कितना पावन स्थल है,
यह प्रयागराज चारों तरफ से जगमग है।
देश-विदेश से लोग आए,
इस पावन गंगा में नहाने के लिए उत्सुकता बढ़ाएं।
इतना जोर शोर से यह मेला लगा है,
दूर-दूर देश के लोगों को देखने की यह
उत्सुकता बना है।
इतनी थॉट – बाट से घाट सजी है,
मानो की स्वयं गंगा माता प्रयागराज में आ बसी है।

Pragati Gupta

प्रगति गुप्ता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर चुकी हैं। इसके अलावा इन्हें साहित्य में रुचि है और कविताएँ लिखने का भी शौक है। वर्तमान में प्रगति जनस्वराज हिन्दी के संपादक के तौर पर काम कर रहीं हैं।

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