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Himanchal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में क्यों बंद हुए 1200 स्कूल?

Himanchal Pradesh :Why were 1200 schools closed in Himachal Pradesh?

Himanchal Pradesh : हिमाचल प्रदेश में पिछले ढाई वर्षों में लगभग 1200 सरकारी स्कूलों को बंद या मर्ज किया गया है। यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।

स्कूल बंद करने के कारण
राज्य के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि बंद किए गए स्कूलों में से 450 ऐसे थे जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं था, जबकि 750 स्कूलों को कम छात्र संख्या के कारण पास के अन्य स्कूलों में मर्ज कर दिया गया। सरकार ने यह मानक निर्धारित किया है कि कक्षा 6 से 12 तक यदि किसी स्कूल में छात्रों की संख्या 25 से कम है, तो ऐसे स्कूलों का विलय किया जा सकता है।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार के प्रयास
सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं:
शिक्षकों की भर्ती: राज्य सरकार ने 15,000 नए शिक्षकों की नियुक्ति की योजना बनाई है, जिसमें 3,900 प्राथमिक शिक्षा में और 3,100 पद हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग के माध्यम से भरे जाएंगे। इसके अतिरिक्त, 6,200 नर्सरी शिक्षकों की भी भर्ती की जा रही है।
स्कूलों का पुनर्गठन: कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पास के स्कूलों में मर्ज किया जा रहा है। इसके अलावा, 100 ऐसे स्कूल जहां एक भी छात्र नहीं है, उन्हें बंद करने की प्रक्रिया चल रही है।

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चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि सरकार के इन प्रयासों का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं:

शिक्षकों की कमी: राज्य में लगभग 3,400 स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक शिक्षक कार्यरत है, और 322 स्कूलों में कोई भी शिक्षक नहीं है।
छात्रों की संख्या में गिरावट: वर्ष 2003-04 में राज्य के स्कूलों में छात्रों की संख्या लगभग 9.7 लाख थी, जो अब घटकर 4.29 लाख रह गई है।

सरकार इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए शिक्षकों की भर्ती और स्कूलों के पुनर्गठन जैसे कदम उठा रही है।

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों को बंद करने और मर्ज करने का निर्णय शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से लिया गया है। हालांकि, इस प्रक्रिया में चुनौतियाँ भी हैं, जिन्हें सरकार विभिन्न उपायों के माध्यम से संबोधित कर रही है। आने वाले समय में इन प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती है।

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Pragati Gupta

प्रगति गुप्ता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर चुकी हैं। इसके अलावा इन्हें साहित्य में रुचि है और कविताएँ लिखने का भी शौक है। वर्तमान में प्रगति जनस्वराज हिन्दी के संपादक के तौर पर काम कर रहीं हैं।

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