लानत है जागरण, उजाला, हिंदुस्तान पर, नहीं छाप पाए पत्रकारिता के छात्रों के विरोध की ख़बर
पत्रकारिता के छात्रों ने काली पट्टी बांधकर अंतिम दिन की परीक्षा दी। प्रेस विज्ञप्ति देने के बाद भी खबर छापने की हिम्मत नहीं जुटा पाए जागरण, उजाला,हिंदुस्तान और आइनेक्स्ट जैसे अखबार।

न्यूज़ डेस्क (चन्दन शर्मा): गोरखपुर विश्वविद्यालय में एमजेएमसी अंतिम सेमेस्टर के छात्रों ने काली पट्टी बांधकर अंतिम दिन की परीक्षा दी। छात्रों का आरोप है कि उनके साथ प्रथम दिन की परीक्षा के दौरान बदसलूकी हुई और फिर अखबारों में गलत खबर देकर उनके चरित्र पर उंगलियां उठाई गई है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय एमजेएमसी चतुर्थ सेमेस्टर के छात्रों का आरोप है कि छात्र परीक्षा के दूसरे दिन वृहस्पतिवार को अपनी मीडिया लॉ की परीक्षा दे रहे थे। परीक्षा कक्ष में गंदे डेस्क और बेंच पर धूल जमी थी, जिसे साफ कराने के लिए छात्रों ने महिला परीक्षक से अनुरोध किया।
इस पर परीक्षक भड़क गईं और छात्रों को “दुष्ट” कहकर तू-तड़ाक की भाषा से अपमानित किया। इससे नाराज़ छात्रों ने विरोध जताया और परीक्षा शांतिपूर्ण रूप से चलने लगी। बाद में विश्वविद्यालय के एक अन्य शिक्षक ने आकर छात्रों के साथ अभद्र व्यवहार किया और पत्रकारिता के विद्यार्थियों को मुख्य रूप से चेतावनी देने लगे कि ज्यादा विरोध कर रहे हो तुमलोग। तुमलोगों को एसी कमरे में बैठाकर परीक्षा दिलवाया जाएगा?
छात्रों के शांतिपूर्ण ढंग से बात करने की कोशिश की और कहा कि हम शांति से परीक्षा दे रहे हैं देने दीजिये। लेकिन उक्त शिक्षक चिल्लाने लगे और अन्य शिक्षकों को बुलाकर परीक्षा कक्ष का माहौल खराब कर दिया। मामला इतना बढ़ गया कि परीक्षा बहिष्कार तक की नौबत आ गई।
मौके पर पहुँचकर सेंटर सुपरिंटेंडेंट प्रो0 राजवंत ने बीच-बचाव करके मामले को शांत कराया। इस हंगामे से छात्रों की मनोदशा पर बुरा असर पड़ा, जिससे उन्हें प्रश्नपत्र हल करने में कठिनाई हुई। शिक्षकों के विवाद के कारण छात्रों के लगभग 20 मिनट बर्बाद हो गए और अतिरिक्त समय भी नहीं दिया गया।
वहीं इस सब मामले में अखबारों में खबर देकर छपवा दिया गया कि छात्रों ने महिला परीक्षक को चाची कहकर संबोधित किया। इसके बाद इस आशय की खबर अखबारों में छप गई। जिसे दैनिक जागरण,अमर उजाला, हिंदुस्तान, आइनेक्स्ट ने छापी।
सूचना है कि इसके बाद छात्रों ने अपने विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट से मिलकर अपनी बात कही। उन्होंने छात्रों को समझाया कि इस मामले से पूरे डिपार्टमेंट की छवि धूमिल हुई है। हम इस मामले पर जल्द ही कोई निर्णय लेंगे।
दो दिन का समय बीतने के बाद भी दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान और आइनेक्स्ट में इस संबंध में कई खबर नहीं छपी। इसके बाद छात्रों ने अपने अंतिम दिन की परीक्षा के दौरान काली पट्टी बांधकर परीक्षा दी है। इस संबंध में उन्होंने अखबारों को अपनी लिखित प्रेस विज्ञप्ति भी प्रदान की लेकिन दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर और आइनेक्स्ट ने इस खबर को छापने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाए। इस खबर को लेकर सभी अपनी पूंछ छिपाते नजर आ रहे हैं। जबकि स्वतंत्र भारत ने इस खबर को सचित्र गोरखपुर के पेज पर जगह दी है।
भावी पत्रकारों की खबरें न छापकर इन अखबारों ने एकबार फिर साबित कर दिया कि देश का चौथा स्तंभ अब टूट चुका है। यदि यह खुद के लोगों की आवाज़ नहीं बन सकता तो लानत है ऐसे अखबारों पर।
देखिए स्वतंत्र भारत की खबर
