गोरखपुर: राष्ट्रीय संगोष्ठी 2025,‘भारतीय ज्ञान परंपरा और वैश्विक नेतृत्व की अवधारणा’ पर गोरखपुर विश्वविद्यालय में विमर्श
Gorakhpur: National Seminar 2025, Discussion on 'Indian Knowledge Tradition and Concept of Global Leadership' at Gorakhpur University
गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) में राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी “भारतीय ज्ञान परंपरा और वैश्विक नेतृत्व की अवधारणा” का पोस्टर कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने आज विमोचित किया।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार सिंह, प्रो. रजनीकांत पांडे, प्रो. विनीता पाठक, प्रो. गोपाल प्रसाद, प्रो. रूसीराम महानंदा, तथा संगोष्ठी के संयोजक डॉ. महेंद्र कुमार सिंह और डॉ. अमित उपाध्याय उपस्थित रहे।
8 सितंबर को होगा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
यह एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 8 सितंबर 2025 को हाइब्रिड मोड (ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों माध्यमों) में आयोजित होगी। इसमें भारत और विदेश के प्रख्यात शिक्षाविदों, शोधार्थियों एवं वरिष्ठ कूटनीतिज्ञों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि: प्रोफेसर अमिताभ मट्टू
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि एवं वक्ता होंगे—
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प्रोफेसर अमिताभ मट्टू, डी.फिल. (ऑक्सफोर्ड), पद्मश्री सम्मानित विद्वान।
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वर्तमान पद: डीन, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ (SIS), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली।
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अन्य भूमिकाएँ:
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चेयर एवं प्रोफेसर, सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिक्स, ऑर्गनाइजेशन एंड डिसआर्मामेंट, JNU।
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Honorary Professorial Fellow, Faculty of Arts, University of Melbourne।
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Chair of Excellence on India’s Strategic Culture, Defence Services Staff College, Wellington।
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संपादक, अंतरराष्ट्रीय जर्नल International Studies (Sage)।
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प्रो. मट्टू भारत की विदेश नीति, रणनीतिक संस्कृति और वैश्विक कूटनीति के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञ हैं।
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समापन सत्र के मुख्य अतिथि: वरिष्ठ राजनयिक श्री अनिल कुमार राय
समापन सत्र में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता होंगे—
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श्री अनिल कुमार राय, भारत सरकार के वरिष्ठ राजनयिक।
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वर्तमान पद: भारत के उच्चायुक्त, इथियोपिया, एवं अफ्रीकन यूनियन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि।
श्री राय ने विदेश मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय सहयोग, बहुपक्षीय कूटनीति और वैश्विक संगठनों में भारत की भूमिका को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कुलपति का संदेश
इस अवसर पर कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा:“भारतीय ज्ञान परंपरा केवल अतीत की धरोहर नहीं है, बल्कि यह वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भविष्य का मार्गदर्शन करने वाली शक्ति है। यह संगोष्ठी विश्वविद्यालय परिवार के साथ-साथ पूरे अकादमिक जगत के लिए एक महत्वपूर्ण विमर्श का मंच बनेगी।”
संगोष्ठी का उद्देश्य
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भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता पर गहन अकादमिक विमर्श।
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वैश्विक नेतृत्व की अवधारणा को भारतीय दृष्टिकोण से समझना।
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शिक्षाविदों, कूटनीतिज्ञों और शोधार्थियों को साझा मंच पर लाना।
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