DDUGU: इतिहास के प्रोफेसर हिमांशु चतुर्वेदी बने IIAS शिमला के निदेशक

गोरखपुर (अनूप पटेल): दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDUGU) इतिहास विभाग में कार्यरत प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला का निदेशक नियुक्त किया गया है. आई.आई.ए.एस. समाज विज्ञान के क्षेत्र में देश की सर्वोच्च शोध संस्था के रूप में प्रतिष्ठित है. इस नियुक्ति के अवसर पर इतिहास विभाग में प्रो. चतुर्वेदी का भव्य स्वागत एवं अभिनंदन किया गया.
अभिनंदन के क्रम में प्रोफेसर हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा (समाज विज्ञान) के उन सभी आवश्यक संदर्भों को दर्ज किया जाना चाहिए, जो महत्वपूर्ण होते हुए भी उपेक्षित रहे हैं. समाज विज्ञान (इतिहास) में समग्रता व सूक्ष्मता की अपेक्षा बनी रहती है. किसी भी तरह का पूर्वाग्रह अनुचित व अधूरे निष्कर्ष की ओर ले जा सकता है.
प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी ने चौरी-चौरा पर किया है शोध
प्रोफेसर हिमांशु ने चौरी-चौरा पर गंभीर शोध किया है. उनके शोध में ऐसे कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम उद्घाटित हुआ जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. उनका मानना है कि ऐसे भूले-बिसरे नायकों को इतिहास में यथोचित स्थान मिलना चाहिए.
उन्होंने कहा कि चौरी-चौरा मात्र एक बानगी है जिसके कई महत्वपूर्ण पहलू इतिहास में उपेक्षित रहे. जिन्होंने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया ऐसे महान क्रांतिकारियों के साथ ही ऐसी घटनाएं जिनकी राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, इसके बावजूद उनकी सनद नहीं ली गई. उस पर मुकम्मल विचार होना चाहिए. जो समाज अपने अतीत को भुला देता है उसका कोई उज्जवल भविष्य भी नहीं होता. इतिहास सबक लेने का सर्वाधिक विश्वसनीय स्रोत हो सकता है.
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उन्होंने कहा कि इतिहास में समुचित तर्क एवं तथ्यों का विवेचन-विश्लेषण होना चाहिए. समग्रता में अध्ययन होना चाहिए. तदुपरांत की गई व्याख्या उपयुक्त हो सकती है. इतिहास हमारे कल, आज और कल का एक विश्वसनीय स्रोत है. इसके विश्वसनीयता की रक्षा करना इतिहासकार का दायित्व होता है.
निदेशक पद पर नियुक्ति के संदर्भ में प्रोफेसर हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा कि इसे किसी बड़े प्रशासनिक पद के रूप में देखना उपयुक्त नहीं होगा. मेरी दृष्टि में वह प्रशासनिक पद से ज्यादा बड़ा एकेडमिक दायित्व है.
प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी की यह उपलब्धि शिक्षकों की गुणवत्ता का है परिचायक- कुलपति पूनम टंडन
प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी ने कुलपति से शिष्टाचार भेंट की. इस अवसर पर प्रोफेसर पूनम टंडन ने उन्हें बधाई दिया और कहा कि यह न केवल इतिहास विभाग बल्कि पूरे विश्वविद्यालय के लिए गौरव का क्षण है. समाज विज्ञान में शोध एवं अध्ययन के सर्वोच्च संस्थान IIAS के निदेशक के रूप में प्रोफेसर हिमांशु चतुर्वेदी का चयन एक उपलब्धि है. यह चयन हमारे विश्वविद्यालय के शिक्षकों की गुणवत्ता का भी परिचायक है.
अभिनंदन के इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों व शोधार्थियों में गर्मजोशी व हर्ष का जीवंत दृश्य देखने को मिला. विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनोज कुमार तिवारी ने कहा कि यह एक बड़ी उपलब्धि है. हमारा पूरा विभाग इस उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है. इस अवसर पर अन्य विभागों के कई अध्यक्ष, आचार्य, शोधार्थी व विद्यार्थियों ने बधाई दी एवं शुभेच्छा प्रकट की.
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भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (Indian Institute of Advance Studies) प्रारम्भ में लार्ड डफरिन(वाइसराय) की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप रहा. जिसे 1947 में राष्ट्रपति निवास के नाम से अलंकृत किया गया. भारत के द्वितीय राष्ट्रपति और प्रख्यात शिक्षाविद् डाॅ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा 1965 में यहां IIAS की स्थापना की गई। उनका सपना इसे विश्व का सर्वश्रेष्ठ संस्थान बनाना था। तभी से यह सामाजिक विज्ञान के शोध केंद्र के रूप में देश का सर्वाधिक महत्वपूर्ण केंद्रीय संस्थान बना, जिसकी वैश्विक प्रतिष्ठा है।
यह संस्था मुख्यतः फेलोशिप प्रदान करने, राष्ट्रीय सेमिनार व संगोष्ठी, अंतरर्राष्ट्रीय व्याख्यान, अंतरराष्ट्रीय अकादमिक संस्थाओं के साथ संयुक्त तत्वावधान, शोध पत्रिका का प्रकाशन इत्यादि कार्य करती है। यह शोध के सृजनात्मक अन्वेषण के लिए एक आवासीय केंद्र है। यह उच्च शोध एवं गुणवत्ता के लिए जानी जाती है।यह संस्था शोधकर्ताओं के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करती है तथा अंतरराष्ट्रीय ज्ञान के आदान प्रदान का प्रमुख स्रोत हैं।