DDU Gorakhpur University में “ख़ालिस्तान आन्दोलन: पुरानी समस्या के नए आयाम” विषय पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन

Gorakhpur News (Abhishek Singh): दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के तत्वावधान में “ख़ालिस्तान आन्दोलन: पुरानी समस्या के नए आयाम” विषय पर शनिवार संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस विषय पर आयोजित संगोष्ठी में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह ने कहा कि ख़ालिस्तान आन्दोलन भारत की सुरक्षा के समक्ष एक जटिल समस्या के रूप में दशकों से विद्यमान रहा है।
1971 के युद्ध में मिलि पराजय के पश्चात से ही पाकिस्तान ब्लीड इंडिया पॉलिसी के तहत ख़ालिस्तान आन्दोलन को हवा देता रहा है।
उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार एवं पंजाब सरकार को मिलकर प्रयाश करना होगा। अगर आपसी राजनीति के वज़ह से हमने इस समस्या को नजरअंदाज किया तो हम अपने लिए एक अलगाववादी फ्रैंकस्टन पैदा करेंगें।
उद्भोधन के अगले चरण में विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर श्रीनिवास मणि त्रिपाठी ने कहा कि हमें न सिर्फ ख़ालिस्तान आन्दोलन से जुड़े अतिवादी समूहों एवं लोगों के खिलाफ लड़ना चाहिए, बल्कि ख़ालिस्तान आन्दोलन के वैचारिक अधिष्ठान के विरुद भी लड़ाई लड़नी होगी।

इस विषय पर विभाग के शोध छात्र कृष्ण भूषण शुक्ल ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने भारत में ख़ालिस्तान आन्दोलन का भारत की आज़ादी के पूर्व से लेकर वर्तमान परिदृश्य में ख़ालिस्तान आन्दोलन के स्वरूप पर विस्तृत प्रकाश डाला।
भारत के अंतरिक क्षेत्रो लेकर भारत के बाह्य क्षेत्रों तक किस प्रकार से इस आन्दोलन का विस्तार हुआ इसकी भी चर्चा की। साथ ही साथ भारत सरकार द्वारा समय समय पर इस आन्दोलन से निपटने के लिए किए गए प्रयासों जैसे आपरेशन ब्लू स्टार, आपरेशन ब्लैक थंडर एवं आपरेशन वुडरोज की भी चर्चा की।
उन्होने अपने निष्कर्ष में कहा कि भारत सरकार को इस आन्दोलन से निपटने के लिए पूर्व में हुई गलती से सीख लेकर सभी सम्बंधित दलों को साथ लेकर प्रयास करना चाहिए एवं एक दूसरे के ऊपर ब्लेम गेम से बचकर निर्णायक प्रयास करने की अवश्यकता है।
इस अवसर पर विभाग के सहायक आचार्य डॉ. आरती यादव, डा. विजय कुमार, डा. अभिषेक सिंह एवं विभाग के शोध छात्र छात्राएं व स्नातक एवं परास्नातक के छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे।