कुशीनगर: स्वाधीनता संग्राम में सुराजी बाबा की अग्रणीय भूमिका – कुशीनगर के वीर सेनानी श्रवण पांडेय की गाथा
Kushinagar: Suraji Baba's leading role in the freedom struggle - The story of Kushinagar's brave warrior Shravan Pandey
कुशीनगर: देश की आज़ादी की लड़ाई में अपनी साहसिक एवं निर्णायक भूमिका के लिए सुराजी बाबा (श्रवण पांडेय) का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष में उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया।
अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में ऐतिहासिक योगदान
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सुराजी बाबा ने अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर रेल की पटरियाँ कई किलोमीटर तक उखाड़ दीं। इस साहसिक कदम के कारण उन्हें तीन बार जेल जाना पड़ा, जिसका उल्लेख सरकारी गज़ट में भी दर्ज है।
‘सुराजी बाबा’ नाम की उत्पत्ति
स्वराज का नारा बुलंद करने के कारण श्रवण पांडेय को ‘सुराजी बाबा’ नाम मिला। उनके छोटे भाई ने भी स्वतंत्रता संग्राम में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर भाग लिया।
अंग्रेजी हुकूमत के सामने अदम्य साहस
पुरैना कटेया निवासी सुराजी बाबा लम्बे कद और सरल स्वभाव के थे। अंग्रेजी सिपाहियों के सामने स्वराज के नारे और तिरंगा फहराने के जुर्म में उन्हें गाड़ी से बाँधकर घसीटते हुए तरया थाने ले जाया गया। रिहा होने के बाद भी उन्होंने गाँव में पीपल के पेड़ पर सबसे ऊँचा तिरंगा झंडा फहराना जारी रखा। अंग्रेज सिपाही बार-बार गाँव में उन्हें खोजने आते थे।
चुनावी दौर में प्रभावशाली नारे
अंतरिम सरकार के गठन हेतु चुनाव के समय, जब अंग्रेज समर्थक और स्वराज समर्थक पार्टियां आमने-सामने थीं, सुराजी बाबा ने एक प्रसिद्ध नारा दिया –
“दही चुरा राज के, वोटवा सुराज के।”
अर्थात भोजन-व्यवस्था भले सरकार की हो, लेकिन वोट स्वराज समर्थक पार्टी को ही देना है। वे आसपास की चुनावी सभाओं में जाकर लोगों को जागरूक करते थे।
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सम्मान और स्मृति
आज भी फाज़िलनगर ब्लॉक परिसर में स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में उनका नाम सबसे ऊपर अंकित है। आज़ादी के बाद, उनकी मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र गौरी शंकर पांडेय को ताम्र पट्टिका देकर मुलायम सिंह यादव सरकार ने सम्मानित किया।
पूर्व पत्रकार एवं भाजपा नेता डॉ. बच्चा पांडेय नवीन के प्रयासों से रगरगंज बाजार में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया।
श्रद्धांजलि
आज़ादी की 79वीं वर्षगांठ पर क्षेत्र के प्रमुख लोगों – अशोक सिंह, गोरख तिवारी, छेदी नेता, अभय शाही, ग्राम प्रधान अनिरुद्ध राय, मनोज राय, दिग्विजय शाही, हंश राज, कपिलदेव कुशवाहा, कृष्ण देव कुशवाहा, अवधेश शर्मा, श्रवण डॉ, अवनिंद्र पांडेय, अनुज शर्मा, पारस यादव, सुरेंद्र प्रसाद, सुबास यादव, अभिषेक सिंह, संजय सिंह, कमलेश यादव, बबलू सिंह आदि ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।