डंकी रूट: क्या है यह रूट, क्यों जाते हैं भारतीय इसे पार कर अमेरिका, और क्यों वापस भेजे जाते हैं?
न्यूज डेस्क (प्रेम शंकर पांडेय) : अमेरिका की ओर से भारतीय अप्रवासियों को सैन्य विमान से हथकड़ियां और बेड़ियां पहनाकर वापस भेजने का विवाद तेजी से बढ़ रहा है। खासकर डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्ती बढ़ा दी थी, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोग अवैध रूप से अमेरिका पहुंचने का प्रयास करते हैं। इन्हें “डंकी रूट” के जरिए अमेरिकी सीमा तक पहुंचने की कोशिश की जाती है, जो अत्यंत खतरनाक और जोखिमपूर्ण यात्रा है। इस लेख में हम समझेंगे कि डंकी रूट क्या है, क्यों भारतीय इसे अपनाते हैं, और इस खतरनाक सफर के दौरान उनके अनुभव क्या होते हैं। साथ ही जानेंगे क्यों अमेरिका इन अवैध अप्रवासियों को वापस भेजता है और इस प्रक्रिया में हथकड़ी लगाने का क्या नियम है।
डंकी रूट: अवैध प्रवासियों का खतरनाक सफर
डंकी रूट एक अवैध मार्ग है, जिसे लोग अमेरिका पहुंचने के लिए अपनाते हैं, जबकि उन्हें वैध वीजा या पासपोर्ट नहीं होता। इस मार्ग का नाम “डंकी रूट” इसलिए पड़ा क्योंकि इस रास्ते पर लोग अपनी जान जोखिम में डालकर यात्रा करते हैं, जैसे डंकी (गधा) कठिन रास्तों को पार करता है। इस रूट से यात्रा करने वाले लोग पहले दक्षिणी अमेरिका के कुछ देशों में पहुंचते हैं, जहां उन्हें आसानी से वीजा मिल जाता है। फिर वे कई खतरनाक जंगलों, पहाड़ों और समुद्रों को पार करते हुए अमेरिका तक पहुंचने की कोशिश करते हैं।
डंकी रूट से यात्रा की शुरुआत
डंकी रूट की शुरुआत इक्वाडोर, बोलिविया और गयाना जैसे देशों से होती है, जहां अवैध प्रवासियों को वीजा ऑन अराइवल या टूरिस्ट वीजा मिल जाता है। इसके बाद इन्हें कोलंबिया भेजा जाता है, जहां से वे डेरियन गैप नामक जंगल को पार करते हैं। यह जंगल न केवल कठिन और दुर्गम है, बल्कि इसमें जानलेवा जानवर जैसे जगुआर और एनाकोंडा भी रहते हैं। इस जंगल को पार करने में कई दिन लग सकते हैं और यहां कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं।
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डंकी रूट का खतरनाक सफर
डंकी रूट से यात्रा करने का खतरा बहुत बड़ा है। कई प्रवासी इन जंगलों और पहाड़ों से गुजरते हुए अपनी जान गंवा देते हैं। कुछ लोग मानव तस्करों के जाल में फंस जाते हैं, तो कुछ को अमानवीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इस रूट से गुजरते हुए कई बार लोग जेल में भी डाल दिए जाते हैं, क्योंकि वे अवैध रूप से विभिन्न देशों में प्रवेश करते हैं। इसके अलावा कई लोगों को धोखा देकर पैसे ले लिए जाते हैं और फिर उन्हें लावारिस छोड़ दिया जाता है। पनामा और कोलंबिया के बीच डेरियन जंगल में अपराधी तत्वों के हाथों दुष्कर्म और लूट की घटनाएं भी आम हैं। यह पूरा सफर न केवल शारीरिक रूप से थका देने वाला है, बल्कि मानसिक रूप से भी अत्यंत कष्टकारी होता है।
भारतीयों के अनुभव: डंकी रूट की दर्दनाक दास्तां
डंकी रूट से लौटे हुए कई भारतीयों ने अपने अनुभवों को साझा किया है, जो बेहद दर्दनाक हैं। एक उदाहरण के रूप में गुरप्रीत सिंह की कहानी सामने आई है, जो 22 लाख रुपये कर्ज लेकर डंकी रूट से अमेरिका पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि स्पेन से अमेरिका तक की यात्रा के दौरान उन्हें कई खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ा। इस दौरान उन्हें मानव तस्करों ने धोखा दिया और उनका मोबाइल छीन लिया। 22 दिन तक अमेरिका के डिटेंशन कैंप में उन्हें बंद रखा गया, जहां उन्हें न तो नहाने दिया गया और न ही अच्छे से भोजन मिला। गुरप्रीत सिंह के मुताबिक, उन्हें हथकड़ी और बेड़ियां इसलिए लगाई गईं क्योंकि सेना के पास उनके साथ निपटने के लिए पर्याप्त सैनिक नहीं थे, और वे किसी हमले से बचना चाहते थे।
सुखपाल और हरविंदर नाम के दो अन्य भारतीयों ने भी अपनी दर्दनाक यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें पहले यूरोप के रास्ते भेजने का वादा किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें डंकी रूट से भेजा गया। सुखपाल ने बताया कि उन्हें समुद्र के रास्ते चार घंटे की यात्रा करनी पड़ी, और फिर 45 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ी। इस दौरान कई लोग बीमार हो गए, और उन्हें रास्ते में ही छोड़ दिया गया। सुखपाल के मुताबिक, यात्रा के दौरान कई लोग मर गए, और उन्होंने रास्ते में लाशों को देखा।
क्यों भेजे जाते हैं अवैध अप्रवासी?
अमेरिका अवैध अप्रवासियों को वापस भेजता है क्योंकि यह उसका कानूनी और अंतरराष्ट्रीय दायित्व है। अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेजना कानून के तहत जरूरी होता है। भारत सहित हर देश का यह कर्तव्य है कि वे अपने नागरिकों को वापस लाएं यदि वे अवैध रूप से अन्य देशों में रह रहे हैं। भारत सरकार ने भी इस मुद्दे पर स्पष्ट किया है कि अवैध प्रवासन से जुड़े मामले में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह प्रक्रिया नई नहीं है, और पिछले 15 वर्षों में भारत से 15,756 भारतीय नागरिकों को अमेरिका द्वारा वापस भेजा गया है।
हथकड़ी और बेड़ियों का इस्तेमाल
अमेरिका में अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के दौरान उन्हें हथकड़ी और बेड़ियां पहनाने का नियम सुरक्षा कारणों से है। क्योंकि इन प्रवासियों में से कई लोग अपने परिवेश से थके हुए होते हैं और अप्रत्याशित रूप से हिंसक हो सकते हैं, इसलिए अमेरिकी सेना उन्हें हथकड़ी और बेड़ियों में डाल देती है। यह एक सुरक्षा उपाय है, ताकि वे किसी प्रकार का हमला न करें या भागने का प्रयास न करें।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की बात की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कहा कि अवैध प्रवासन के मामलों में देश अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं और इसे केवल एक देश का मसला नहीं मान सकते। उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासन के दौरान मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है और कई बार प्रवासियों की मौत भी हो जाती है। इस मामले में भारत सरकार का ध्यान प्रवासियों के प्रति उचित व्यवहार और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने पर है।
डंकी रूट के जरिए अवैध रूप से अमेरिका पहुंचने की प्रक्रिया न केवल खतरनाक है, बल्कि यह मानवाधिकारों का भी उल्लंघन करती है। इस सफर में कई लोग अपनी जान गंवाते हैं और अमानवीय परिस्थितियों का सामना करते हैं। अमेरिका और अन्य देशों में अवैध प्रवासियों के साथ कठोरता से निपटना एक कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे प्रवासियों को सुरक्षित तरीके से वापस भेजा जाए। भारत सरकार को इस मामले में अपनी भूमिका निभानी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी भारतीय नागरिक को अवैध रूप से विदेश जाने का जोखिम न उठाना पड़े।
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