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गोरखपुर: फसल अवशेष प्रबंधन से बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरता और होगा पर्यावरण संरक्षण

Gorakhpur: Crop residue management will increase soil fertility and protect the environment

गोला (गोरखपुर): कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि फसल अवशेष (Crop Residue) खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और पर्यावरण प्रदूषण रोकने में अहम भूमिका निभाता है। विशेषज्ञों ने किसानों से अपील की है कि कटाई के बाद फसल अवशेषों को जलाने के बजाय खेत में पलटकर खाद (Organic Compost) तैयार करें।

फसल अवशेष जलाना क्यों है नुकसानदायक?

  • फसल अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण फैलता है।

  • खेत में मौजूद लाभकारी कीट नष्ट हो जाते हैं।

  • मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटती है।

  • प्रदूषण से बीमारियों का खतरा बढ़ता है।

सरकार की सख्ती और जुर्माने की व्यवस्था

फसल अवशेष जलाना अब दंडनीय अपराध है। सरकार ने इसके लिए जुर्माना तय किया है:

  • 2 एकड़ तक की भूमि पर अवशेष जलाने पर ₹2500 जुर्माना।

  • 2 से 5 एकड़ तक पर ₹5000 जुर्माना।

  • 5 एकड़ से अधिक पर ₹15000 जुर्माना।

अवशेष प्रबंधन की बेहतर तकनीकें

पूर्व जिला कृषि अधिकारी राम अधार यादव ने किसानों को बताया कि अवशेष प्रबंधन से न केवल भूमि की उर्वरता (Soil Fertility) बढ़ती है, बल्कि पैदावार भी दोगुनी हो सकती है।

  • फसल अवशेष खेत में पलटकर उस पर प्रति एकड़ 20 किलोग्राम यूरिया डालें और पानी चला दें।

  • पाटा चलाने के बाद 20-25 दिन में अवशेष खाद में बदल जाएगा।

  • डी-कंपोजर (जो कृषि विभाग से निःशुल्क उपलब्ध है) का प्रयोग करें।

  • आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कर खेत में ही कंपोस्ट बनाएं।

  • वर्मी कंपोस्ट (Vermicompost) और मल्चिंग तकनीक से खरपतवार कम होते हैं और मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ती है।


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किसानों की आय बढ़ाने का जरिया

फसल अवशेषों से बनी जैविक खाद:

  • मिट्टी की नमी और हवा का संचार बढ़ाती है।

  • फसल को पोषण देती है।

  • कम लागत में अधिक उत्पादन सुनिश्चित करती है।

  • किसानों की आय दोगुनी करने में सहायक है।

प्राकृतिक खेती से होगा स्वास्थ्यवर्धक अन्न उत्पादन

ग्राम पंचायत स्तरीय कृषक गोष्ठी, प्राथमिक विद्यालय बनवारपार, ब्लॉक गोला में आयोजित हुई। इसमें कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्धक खाद्यान्न उत्पादन संभव है। किसानों को जैविक खाद और आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने की सलाह दी गई।

कार्यक्रम में शामिल रहे

गोष्ठी की अध्यक्षता ग्राम प्रधान प्रकाश गौतम ने की और संचालन बृजेंद्र ने किया। इस अवसर पर प्राविधिक सहायक बृजेंद्र, कृषि सखी उर्मिला, रामवृक्ष यादव, रीता देवी, साधना बिंदु, गीता, करिश्मा, राजमती, त्रिवेणी मौर्य, चौथी यादव, करोड़पति राम लखन, निवेदिता समेत बड़ी संख्या में किसान व जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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Pragati Gupta

प्रगति गुप्ता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर चुकी हैं। इसके अलावा इन्हें साहित्य में रुचि है और कविताएँ लिखने का भी शौक है। वर्तमान में प्रगति जनस्वराज हिन्दी के संपादक के तौर पर काम कर रहीं हैं।

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