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बड़हलगंज में श्रीमद्भागवत कथा: सुशील महाराज बोले – भगवत कृपा बिना संसार में कुछ संभव नहीं

Shrimad Bhagwat Katha in Barhalganj: Sushil Maharaj said – nothing is possible in the world without God's grace

बड़हलगंज: श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से जीवन के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा को शांति एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। बड़हलगंज नगर स्थित जलेश्वर नाथ मंदिर समिति द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत महापुराण परायण पाठ एवं कथा ज्ञान यज्ञ समारोह के छठे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक सुशील महाराज ने कहा कि इस जगत में भगवत कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं है।

कर्म ही प्रधान है – सुशील महाराज

उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य को सदैव समाज में अच्छे कर्म करने चाहिए। श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि कर्म ही प्रधान है, बिना कर्म कुछ भी संभव नहीं है। महाराज ने बताया कि जीवन में दो मार्ग हैं – दमन का और उदारीकरण का, लेकिन दोनों मार्गों पर अधोगामी वृत्तियों का त्याग अनिवार्य है।

सुशील महाराज ने धुंधकारी और गोकर्ण की कथा का उदाहरण देते हुए कहा कि दुराचारी धुंधकारी ने भी यदि मनोयोग से कथा श्रवण किया तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो गई। यही भागवत कथा का दिव्य स्वरूप है। उन्होंने कहा – भागवत कथा एक ऐसा अमृत है जिसका जितना भी श्रवण किया जाए, आत्मा की प्यास कभी नहीं बुझती।

कथा श्रवण अमृतपान के समान – विधायक राजेश त्रिपाठी

इस अवसर पर चिल्लूपार विधायक राजेश त्रिपाठी ने व्यास पीठ की आरती कर संत सुशील महाराज का आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा – भागवत कथा का श्रवण अमृतपान के समान है। यह कथा जीवों को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त कर मोक्ष दिलाने का मार्ग प्रशस्त करती है।


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कार्यक्रम में नगर पंचायत चेयरमैन प्रतिनिधि महेश उमर, व्यापार मंडल अध्यक्ष श्रीकांत सोनी, पूर्व सभासद संजय सोनी सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

पंडाल में गूंजा भक्ति का माहौल

कथा पंडाल में व्यवस्थापक मोहन मद्धेशिया और अजय सराफ ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। भक्ति भाव से ओतप्रोत वातावरण में हरि नाम संकीर्तन और भागवत कथा का रसपान कर श्रद्धालु दिव्य आनंद से सराबोर हो गए।

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Pragati Gupta

प्रगति गुप्ता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर चुकी हैं। इसके अलावा इन्हें साहित्य में रुचि है और कविताएँ लिखने का भी शौक है। वर्तमान में प्रगति जनस्वराज हिन्दी के संपादक के तौर पर काम कर रहीं हैं।

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