Birju Maharaj : नौ साल में पिता को खोया, यूं बने कथक सम्राट
जिस अस्पताल में वह पैदा हुए थे, उस दिन इनके अलावा बाकी सारी लड़कियां उस अस्पताल में पैदा हुई थी। इसी वजह से इनका नाम बृजमोहन रख दिया गया था।
News Desk (संजना सिंह) : पद्म भूषण से सम्मानित पंडित बिरजू महाराज (Birju Maharaj) भारतीय शास्त्रीय नृत्य कत्थक के हस्ताक्षर माने जाते हैं। इनको को यह कला विरासत में मिली थी।
बिरजू महाराज (Birju Maharaj) जन्म लखनऊ के कथक घराने में हुआ था। इनके पिता अच्छन महाराज और उनके चाचा देश के प्रसिद्ध कलाकारों में से एक माने जाते हैं।
बिरजू महाराज का नाम पहले दुख हरण रखा गया था। लेकिन जिस अस्पताल में वह पैदा हुए थे, उस दिन इनके अलावा बाकी सारी लड़कियां उस अस्पताल में पैदा हुई थी। इसी वजह से इनका नाम बृजमोहन रख दिया गया था। जो आगे चलकर बिरजू बना और बाद में बिरजू महाराज (Birju Maharaj) के नाम से लोग जानने लगे।
नौ वर्ष की आयु में पिता के गुजर जाने के बाद पिता की जिम्मेदारियां उनके कंधों पर आ गई थी। पूरे परिवार को अब इन्हीं को देखभाल पड़ रहा था। फिर इन्होंने अपने चाचा से कत्थक का शिक्षा लेना शुरू कर दिया।
कुछ वर्षों के बाद कपिला इन्हें दिल्ली ले आई। वहां उन्होंने संगीत भारती में छोटे बच्चों को कत्थक सीखना शुरुआत कर दिया और साथ ही साथ कथक केंद्र का भार भी संभाला। उन्होंने कत्थक के साथ कई कार्य और कई प्रयोग भी किए थे। कई फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी भी की।