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गोरखपुर: फसल अवशेष जलाना दंडनीय अपराध, किसानों को मिला जैविक खेती का संदेश

Gorakhpur: Burning crop residue is a punishable offense, farmers get the message of organic farming

गोला, गोरखपुर: गोला विकास खंड के ग्राम नवली स्थित प्राथमिक विद्यालय में आयोजित न्याय पंचायत स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन कृषक गोष्ठी में कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को महत्वपूर्ण जानकारी दी।

फसल अवशेष जलाना अपराध घोषित

गोष्ठी में पूर्व अपर जिला कृषि अधिकारी राम अधार यादव ने किसानों को बताया कि खेतों में फसल कटाई के बाद अवशेष (Parali) जलाना पर्यावरण के लिए घातक है और सरकार ने इसे दंडनीय अपराध घोषित किया है।

  • दो एकड़ से कम भूमि पर अवशेष जलाने पर ₹2500 अर्थदंड

  • दो से पाँच एकड़ तक ₹5000 जुर्माना

  • पाँच एकड़ से अधिक पर ₹15000 का अर्थदंड वसूला जाएगा।

अवशेष जलाने की जगह खाद बनाने पर जोर

राम अधार यादव ने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष को जलाने की बजाय खेत में पलटकर जैविक खाद तैयार करें। इसके लिए—

  • प्रति एकड़ 20 किलो यूरिया छिड़कें।

  • खेत में पानी भरकर पाटा चलाएँ।

  • 20-25 दिन में अवशेष पूरी तरह खाद बन जाएगा।

कृषि विभाग किसानों को डी-कंपोजर निशुल्क उपलब्ध कराता है, जिससे अवशेष जल्दी सड़कर खाद में बदल जाता है।

अवशेष प्रबंधन से होने वाले फायदे

  • खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि

  • मिट्टी में जल धारण क्षमता और वायु संचार बेहतर

  • खरपतवार नियंत्रण और पानी की बचत

  • पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्धक फसल उत्पादन

  • वर्मी कंपोस्ट और मल्चिंग से किसानों की आय में वृद्धि


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सरकारी योजनाओं की जानकारी

गोष्ठी में सहायक विकास अधिकारी आलोक राय, शेषनाथ पाल, दीपांकर सरोज और पिंटू आर्या लालचंद ने किसानों को खरीफ फसलों की तकनीक, फार्मर रजिस्ट्री, फसल बीमा, पशुपालन, बागवानी और सब्जी की खेती संबंधी योजनाओं की जानकारी दी।

कार्यक्रम में शामिल हुए जनप्रतिनिधि और किसान

गोष्ठी की अध्यक्षता ग्राम प्रधान धर्मेंद्र यादव ने की और संचालन विजेंद्र ने किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में किसान व जनप्रतिनिधि मौजूद रहे, जिनमें घनश्याम पांडेय, संजय पांडेय, लाल बहादुर, गंगोत्री पांडेय, रागिनी राय, संध्या पांडेय, पूनम माता, फेर पांडेय, रविंद्र पांडेय, गौरव कुमार और इंद्रावती देवी शामिल थे।

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Pragati Gupta

प्रगति गुप्ता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर चुकी हैं। इसके अलावा इन्हें साहित्य में रुचि है और कविताएँ लिखने का भी शौक है। वर्तमान में प्रगति जनस्वराज हिन्दी के संपादक के तौर पर काम कर रहीं हैं।

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