पत्रकारिता की परीक्षा दे रहे विद्यार्थियों के साथ हुआ दुर्व्यवहार, अखबारों ने छाप दी एकतरफा खबर
गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में चल रही सम सेमेस्टर परीक्षा के दौरान बृहस्पतिवार को दीक्षा भवन में पत्रकारिता और हिंदी के छात्रों के साथ अप्रिय घटना घटी।
परीक्षा कक्ष में गंदे डेस्क और बेंच पर धूल जमी थी, जिसे साफ कराने के लिए छात्रों ने महिला परीक्षक से अनुरोध किया। इस पर परीक्षक भड़क गईं और छात्रों को “दुष्ट” कहकर तू-तड़ाक की भाषा से अपमानित किया। इससे नाराज़ छात्रों ने विरोध जताया और परीक्षा शांतिपूर्ण रूप से चलने लगी।
बाद में विश्वविद्यालय के एक अन्य शिक्षक ने आकर छात्रों के साथ अभद्र व्यवहार किया और पत्रकारिता के विद्यार्थियों को मुख्य रूप से चेतावनी देने लगे कि ज्यादा विरोध कर रहे हो तुमलोग। तुमलोगों को एसी कमरे में बैठाकर परीक्षा दिलवाया जाएगा? छात्रों के शांतिपूर्ण ढंग से बात करने की कोशिश की और कहा कि हम शांति से परीक्षा दे रहे हैं देने दीजिये। लेकिन उक्त शिक्षक चिल्लाने लगे और अन्य शिक्षकों को बुलाकर परीक्षा कक्ष का माहौल खराब कर दिया।
मामला इतना बढ़ गया कि परीक्षा बहिष्कार तक की नौबत आ गया। मौके पर पहुँचकर सेंटर सुपरिंटेंडेंट प्रो0 राजवंत ने बीच-बचाव करके मामले को शांत कराया। इस हंगामे से छात्रों की मनोदशा पर बुरा असर पड़ा, जिससे उन्हें प्रश्नपत्र हल करने में कठिनाई हुई। शिक्षकों के विवाद के कारण छात्रों के लगभग 20 मिनट बर्बाद हो गए और अतिरिक्त समय भी नहीं दिया गया।
इस सब हंगामें के बीच विश्वविद्यालय छुट्टी के दिन परीक्षा कक्षों की साफ-सफाई करवाने में जुटा हुआ है। वहीं छात्रों ने इस घटना पर गहरी नाराज़गी जताई है और विश्वविद्यालय प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की है।

परीक्षार्थी विवेक ओझा ने बताया- अखबारों में ख़बर देखकर आश्चर्यचकित हूँ। हम सब खराब डेस्क और गंदे कमरे की शिकायत कर रहे थे। लेकिन अखबारों में देखा तो पत्रकारिता के छात्रों को महिला प्रोफेसर के साथ अभद्र व्यवहार करने वाला बता दिया गया। जबकि वहां महिला प्रोफेसर और शिक्षक ने अभद्रता की और बिना मतलब तानाशाही चेतावनी दी। महिला प्रोफेसर का आरोप झूठा है।

परीक्षार्थी अरुण राय ने कहा – विश्वविद्यालय अपनी नाकामियों, अव्यवस्थाओं को छिपाने के लिए कुछ भी कर रहा है। हमारे विरोध करने के बाद कमरों की सफाई जारी है जो हमें सही साबित करती है। शिक्षकों ने हमें मानसिक प्रताड़ित किया है। हम पत्रकारिता के विद्यार्थी हैं महिला सम्मान हमारे लिए सर्वोपरि है।
सूत्रों से खबर है कि इस मामले में हिन्दी विभाग भी आहत है क्योंकि बिना किसी के वर्जन के अखबारों में खबर छाप दी गई है। वहीं यह मामला विश्वविद्यालय की पत्रकारिता पाठ्यक्रम के लिए भी बड़ा बनता जा रहा है। बता दें आईआईआरएफ रैंकिंग में पत्रकारिता पाठ्यक्रम में विश्वविद्यालय को राज्य विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान मिला हुआ है।
देखिये अखबारों ने क्या छापा-

नोट- इस मामले में कोई आपत्ति हो तो हमारे ईमेल पर भेजें हम वह भी प्रकाशित करेंगे।