एकतरफा खबर छाप रहे हैं गोरखपुर के प्रमुख अखबार

अनुराग मिश्र-

ये लश्कर भी तुम्हारा है सरदार तुम्हारा है।
तुम झूठ को सच लिख दो अख़बार तुम्हारा है॥
इन पंक्तियों को गोरखपुर के प्रतिष्ठित अखबारों ने फिर से सिद्ध कर दिया कि चंद विज्ञापनों के लालच में बड़े संस्थानों द्वारा भेजे गए समाचार की बिना पुष्टि किए हुए सीधे लिख देते है ।
तुमको जो पसंद हो वही बात कहेंगे तुम दिन को रात कहो हम रात कहेंगे …
मामला बीते 17 अप्रैल 2025 का है जब विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में जब पत्रकारिता के छात्र परीक्षा हाल में पहुंचे। टूटी तथा गंदे बेंच और तपती गर्मी में पंखे आदि पर प्रश्न उठाए तो उनको रस्टीकेट करने का धौंस दिखाते हुए एक प्रोफेसर ने कहा कि जिनको दिक्कत है उनको अलग से सोफे और एसी की व्यवस्था कर दी जाएगी, उसके बाद एक वरिष्ठ छात्र को बदतमीजी के साथ अनुचित शब्दों का प्रयोग करते हुए परीक्षा हाल से निकल जाने के लिए बाध्य किया, जिसपर अन्य छात्रों ने विरोध किया जिसके बाद शिक्षक धमकी देने लगे और उन्होंने कहा कि इन सबको मैं जानता हूं इन सबको मैं देख लूंगा। इन सब बवालों में विद्यार्थियों का 35 से 40 मिनट बर्बाद हुआ।विश्वविद्यालय प्रशासन के वरिष्ठ शिक्षकों द्वारा मामले को शांत कराया गया। जिससे परीक्षा पूर्ण रूप से संपन्न हुई।
अगले दिन गोरखपुर के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों ने बेबुनियादी आरोपों के साथ आधी अधूरी खबर चलाकर छात्रों के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया। ख़बरों का फैक्ट चेक करके संपादन करना एक प्रतिष्ठित अख़बार की नैतिक जिम्मेदारी होती है खास तौर पर विवादास्पद मामलों की, लेकिन अखबार ने पूरी जानकारी इकट्ठा करना उचित नहीं समझा। खबर में न तो विश्वविद्यालय प्रशासन का वक्तव्य का उल्लेख हुआ है, न ही विद्यार्थियों का तो एकतरफा पत्रकारिता को कैसे सत्य मना जाय। अखबार द्वारा किये गए दुर्व्यवहार के कारण छात्रों के परिजन उनसे घटना के बारे में पूछ रहे हैं जिससे छात्र पूरी तरह से आहत हैं। अखबार ने छात्रों के साथ साथ विश्वविद्यालय के छवि को भी ठेस पहुँचाया है। इस कार्य के लिए अखबार को अपने स्रोत तथा रिपोर्टर से घटना की स्पष्टता मांगते हुए कार्यवाई करनी चाहिए।
देखिये अखबारों ने क्या छापा:



