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DDU Gorakhpur : वैज्ञानिकों ने पौधों के तेल से बनाया जैविक कीटनाशक, फफूंद का होगा खात्मा

News Desk Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयूजीयू) के शोधकर्ता पौधों के आवश्यक तेलों (Essential Oils) के एंटीफंगल और एंटी-अफ्लाटॉक्सीजेनिक गुणों का उपयोग करके प्राकृतिक कीटनाशक विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं। इस शोध का उद्देश्य खाद्य उत्पादों को सुरक्षित बनाना और रासायनिक कीटनाशकों के पर्यावरणीय दुष्प्रभावों को कम करना है।

खाद्य सुरक्षा के लिए चुनौती

फंगल संक्रमण, विशेष रूप से एस्परजिलस फ्लेवस (Aspergillus flavus) जैसी फफूंद (फंगस), खाद्य पदार्थों के लिए एक गंभीर खतरा है। यह फफूंद अफ्लाटॉक्सिन नामक विषाक्त पदार्थ उत्पन्न करती है, जो अनाज, मूंगफली, मसाले और अन्य खाद्य उत्पादों को दूषित कर सकती है। अफ्लाटॉक्सिन के सेवन से लिवर कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए आमतौर पर रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है, लेकिन वे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

डीडीयूजीयू का समाधान: प्राकृतिक आवश्यक तेलों का उपयोग

डीडीयूजीयू के बॉटनी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार के नेतृत्व में एक शोध दल पौधों से प्राप्त आवश्यक तेलों के एंटीफंगल गुणों का अध्ययन कर रहा है। इन तेलों में प्राकृतिक रूप से सूक्ष्मजीव रोधी (Antimicrobial) और फफूंद रोधी (Antifungal) गुण होते हैं, जिससे वे जैविक कीटनाशकों के रूप में प्रभावी हो सकते हैं।

शोध की मुख्य बातें:

  • आवश्यक तेलों का निष्कर्षण और विश्लेषण – वैज्ञानिक विभिन्न सुगंधित पौधों से आवश्यक तेल निकालकर उनके जैव सक्रिय यौगिकों (Bioactive Compounds) की पहचान कर रहे हैं।
  • प्रयोगशाला परीक्षण – इन तेलों का Aspergillus flavus जैसी फफूंद पर प्रभाव परीक्षण किया जा रहा है। शोध में पाया गया है कि नींबू घास (Lemongrass – Cymbopogon citratus) का तेल 1 माइक्रोलिटर/मिलीलीटर की मात्रा में उपयोग करने से अफ्लाटॉक्सिन उत्पादन को पूरी तरह से रोका जा सकता है।
  • फफूंद पर प्रभाव का अध्ययन – यह शोध यह भी दर्शाता है कि आवश्यक तेल किस प्रकार फफूंद की कोशिका झिल्ली को नष्ट कर उनकी वृद्धि और विषाणु उत्पादन को रोकते हैं।
  • संयुक्त प्रभाव (Synergistic Effects) – विभिन्न आवश्यक तेलों को मिलाकर उनकी प्रभावशीलता बढ़ाने पर भी शोध किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, नींबू घास और सिट्रोनेला तेल का संयोजन Aspergillus flavus के खिलाफ अधिक प्रभावी पाया गया है |
  • व्यावहारिक उपयोग और भंडारण में परीक्षण – इन आवश्यक तेलों को अनाज भंडारण में भी परीक्षण किया गया, जहां यह देखा गया कि इनका उपयोग करने से 80% से अधिक अनाज फफूंद संक्रमण से सुरक्षित रह सकते हैं।

 

खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण के लिए बड़ी उपलब्धि

इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि आवश्यक तेलों का उपयोग खाद्य सुरक्षा बढ़ाने और पर्यावरण-अनुकूल (Eco-friendly) कीटनाशक विकसित करने में मदद कर सकता है। यह अध्ययन उन किसानों और खाद्य उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो रासायनिक कीटनाशकों के विकल्प तलाश रहे हैं।

डीडीयूजीयू में शोध को प्रोत्साहन- कुलपति प्रो. पूनम टंडन

डीडीयूजीयू में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड (Research Excellence Award) शुरू किया गया है, जो वैज्ञानिकों को प्रेरित करेगा। साथ ही, “मल्टीडिसिप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (MERU) योजना” के तहत प्राप्त अनुदान (Grant) से विश्वविद्यालय का शोध ढांचा और मजबूत किया जा रहा है।

कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा: “डीडीयूजीयू का लक्ष्य उच्च स्तरीय शोध को प्रोत्साहित करना और इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत एक अनुसंधान-प्रधान विश्वविद्यालय (Research-Intensive University) बनाना है।”

Chandan Sharma

चन्दन शर्मा पत्रकार (Chandan Sharma Journalist) पिछले 10 सालों से मीडिया में एक्टिव हैं। उन्होंने खबर हलचल न्यूज के साथ काम करना शुरू किया और बाद में "द सर्जिकल न्यूज" नामक अपना खुद का समाचार पोर्टल और यूट्यूब चैनल शुरू किया। द सर्जिकल न्यूज का 5 साल तक सफलतापूर्वक संचालन किया। डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय पत्रकारिता में स्नातकोत्तर के दौरान शुरू हुए "जन स्वराज हिंदी" के संस्थापक सदस्य हैं। पत्रकारिता में परास्नातक चंदन शर्मा को डिजिटल न्यूज़, टेक्नॉलॉजी, ग्रामीण रिपोर्टिंग, रिसर्च पत्रकारिता, ब्रेकिंग न्यूज, राजनीतिक समाचार और वायरल न्यूज में दिलचस्पी है।

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